ईरानी कवियित्री और ऐक्टिविस्ट नसरीन परवाज़जेल की सज़ा भुगत चुकी हैं।मानव त्रासदी कितनी कितनी विकट होती है, फिर भी साधारण लोग अपने conviction के भरोसे इसपर काबू पा लेते हैं।
जेल में प्रेम
-- नसरीन परवाज़
उसकी मुस्कान से लबालब आँखें
मुझे याद दिला रही हैं हमारे पहले चुम्बन की
तभी कानों को भेदती हुई आवाज़ आती है गार्ड की :
पाँच मिनट .. और छूना नहीं ... बस दूर से
हम दोनों के बीचों बीच एक टेबल पड़ा ह
पर मैं सुन पा रही हूँ उसकी एक एक साँस
चुप्पी वही तोड़ता है :
सुनो ,तुम जेल से जल्दी ही छूट जाओगी
मैं चाहता हूँ तुम मुझे भूल जाओ
मान लो जैसे मैं इस दुनिया में कहीं हूँ ही नहीं
किसी भले इंसान को देखो
जो हमारी औलाद को अपना मान ले
और उस से निकाह कर लो।
उसके ये शब्द मुझसे बर्दाश्त बाहर थे
मैं भला तुम्हें कैसे भूल सकती हूँ
हमारी औलाद को तुम्हारे बारे में सब कुछ मालूम होगा।
बिलकुल नहीं ,मैं तुम्हारा अतीत हूँ
मेरी यादों के साथ जिन्दा रहने के कोई मायने नहीं
बच्चे को भविष्य चाहिए
तुम अतीत नहीं भविष्य के साथ जीवन जियो।
चलो ,अब मुलाकात का समय ख़तम हो गया ....
झट से वह टेबल पर कमानी सा झुका
और चूम लिया मेरा मुँह
मेरी कोख में पल रहा बच्चा हिलने डुलने लगा था
कि तभी गार्ड आकर घसीट ले गया उसको
गोली से उड़ाने को ....