मुक्तिबोध मेहनतकश की आजादी के पक्षधर हैं : वरिष्ठ आलोचक जीवन सिंह से कवि महेश...
महेश चंद्र पुनेठा- मुक्तिबोध के समय बहुत सारे आधुनिकतावादी कवि यह कहते हुए पाए जाते थे कि जनवाद,समाजवाद भीड़ की मनोवृति के परिचायक हैं। जुलूस,हड़ताल आदि राजनीतिक सामूहिक कार्य...
View Articleवर्तमान सन्दर्भ में उत्तरभारतीय तालों का व्यावहारिक स्वरूप: एकअध्ययन
वर्तमान सन्दर्भ में उत्तर भारतीय तालों का व्यावहारिक स्वरूप: एकअध्ययनश्रीमती ललिता, शोधार्थिनी, संगीत विभाग, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीतालडा०रेखा साह, असिस्टेन्ट प्रोफेसर, संगीत विभाग, कुमाऊँ...
View Articleईरानी कवयित्री और ऐक्टिविस्ट नसरीन परवाज़ की कविता : अनुवाद और प्रस्तुति -...
ईरानी कवियित्री और ऐक्टिविस्ट नसरीन परवाज़जेल की सज़ा भुगत चुकी हैं।मानव त्रासदी कितनी कितनी विकट होती है, फिर भी साधारण लोग अपने conviction के भरोसे इसपर काबू पा लेते हैं। जेल में प्रेम...
View Articleमालिनी गौतम की कविताएं
1. दर्द पके-पके-सेलड़की जब भी देखती है काँच के पानी भरे ग्लास में पड़े बर्फ के चौकोर टुकड़े को उसे लगता है एक और ज़िंदगी डूब गयी...पिघल-पिघल कर पानी हो गयी...घूँट-घूँट उतरते पानी में फ्रीज़ होता जाता है...
View Articleगज़ब कि अब भी, इसी समय में - राकेश रोहित के कविकर्म पर अनुराधा सिंह
जब नष्ट हो रहा हो सब कुछऔर दिन आखिरी हो सृष्टि कामेरी प्रिय, तुम मुझे प्यार करती रहना!...क्योंकि यह प्यार ही हैजिसका कविता हर भाषा में अनुवादउम्मीद की तरह करती है। (अनुनाद, २०१५)एक कवि जो...
View Articleयहां कविता में पुराने छंद चाहे न आ रहे हों किन्तु उन छंदों की लय आज भी बची...
महेश चंद्र पुनेठा -आप कविता के केंद्र में मनुष्य भाव को मानते हैं.कविता ही मनुष्य भाव की रक्षा करती है.यह अच्छी कविता का एक आधार बिंदु है. आखिर यह मनुष्य भाव क्या...
View Articleस्त्री-कविता का सामाजिक स्वर और शुभा की कविताएँ - आशुतोष कुमार
आलोकधन्वा की कविता “भागी हुई लड़कियां” १९८८ में छपी . यह घटना हिंदी कविता के इतिहास में एक मील का पत्थर है . इसके बाद ही हिंदी में पितृसत्ता को सीधे निशाने पर लेनी वाली स्त्रीवादी...
View Articleवीरू सोनकर की नई कविताएं
वीरू सोनकर की कविताएं पहले भी अनुनाद पर पाठकों ने पढ़ीं हैं और उन कविताओं पर मेरी टिप्पणी भी। इस बीच उनके कथन में कुछ फ़र्क़ आया है, कुछ और आयाम उनके कवि-व्यक्तित्व में जुड़े हैं। उन्होंने सोशल मीडिया...
View Articleसंदीप तिवारी की कविताएं
संदीप तिवारी नौउम्र विद्यार्थी हैं। संयोग है कि मेरे ही निर्देशन में पीएच.डी. के लिए एनरोल्ड हैं। संदीप की कुछ कविताएं उनकी फेसबुक दीवार से ले रहा हूं। रेल(1)माँ बाप ने तोकेवल चलना सिखायाजिसने दौड़ना...
View Articleउपासना झा की कविताएं
उपासना झा ने इधर अपनी कविताओं से एक मौलिक पहचान हिंदी-जगत में बनाई है। हिंदी के कुछ महत्वपूर्ण ब्लाग्स पर उनकी कविताएं पिछले कुछ समय से लगातार पढ़ी जा रही हैं। अनुनाद पर वे पहली बार छप रही हैं। इन...
View Articleनवल अल सादवी : अनुवाद एवं प्रस्तुति - सुबोध शुक्ल / 1
(सुबोध शुक्ल हिंदी के तेजस्वी युवा हैं। कुछ समय पहले उनके सम्पादन में पश्चिम के स्त्रीवादी चिंतन पर एक महत्वपूर्ण किताब ‘गूंगे इतिहासों की सरहदों पर’ आधार प्रकाशन से छपी है। ‘पहल’ के लिए उत्तरआधुनिकता...
View Articleनवल अल सादवी : अनुवाद एवं प्रस्तुति - सुबोध शुक्ल / 2
नवल अल सादवी स्त्री-संतति के प्रति यौन दुराचारसभी बच्चे जो सामान्य और स्वस्थ पैदा होते हैं खुद को सम्पूर्ण मनुष्य के रूप में महसूसते हैं. पर, स्त्री संतान के साथ ऐसा नहीं है. जिस वक़्त से वह पैदा और कुछ...
View Articleमनुष्यता का महान आख्यान : कमल जोशी/1
कमल दा से तीन-चार मुलाक़ातें थीं पर परिचय बहुत पुराना था। साथ उनकी यायावरी के कई क़िस्से थे। वे अचानक चले गए। पुलिस ने प्रथम दृष्टया इस चले जाने को आत्मघात कहा है, जांच अभी चलेगी। उनका जाना और इस तरह...
View Articleराकेश रोहित की ग्यारह कविताएं
राकेश रोहित हमारे समकाल के प्रमुख कवि के रूप में उभरे हैं। अनुनाद के वे पुराने साथी हैं, उनकी कविताएं कई बार अनुनाद ने छापी हैं। यहां आप पाएंगे कि राकेश रोहित की कविताओं के पास एक बहुत बड़ा कैनवास है,...
View Articleअरुण देव की नई कविताएं
अरुण देव हमारे वक़्त के दुश्चक्रों से लड़ने वाले कवि हैं। उनकी कविता देश के कठिन समय में संविधान की प्रस्तावना हमारे सामने रखती है। विक्षत मनुष्यता के लिए कलपती कविता, जिस ज़रूरी क्षोभ से भरी होनी...
View Articleप्रदीप अवस्थी की कविताएं
अनुनाद जिन युवाओं में गहरी उम्मीद देखता है, प्रदीप अवस्थी उनमें से एक हैं। यह देख पाना भी सुखद है कि वे किसी भी अतिरेक और क्लीशे (Cliche) से अलग कविताएं सिरज रहे हैं। उनमें वह अनिवार्य धैर्य है, जिसके...
View Articleआदित्य शुक्ल
‘आक्रोश को अपना यू.एस.पी. नहीं बनाना चाहिए.’- - वीरेन डंगवालयह कथन वीरेन डंगवाल की स्मृति में पहल से आयी पंकज चतुर्वेदी की पुस्तक में दर्ज़ है। आदित्य शुक्ल की कविताएं पढ़ता हूं तो यह वाक्य याद आता...
View Articleब्रज श्रीवास्तव की कविताएं
प्रार्थना बच्चे स्कूल में इस समयकतार में खड़े हो गए हैंगा रहे हैं प्रार्थना जो बच्चे इस वक्त स्कूल में नहीं हैंजरूरकिसी होटल पर धो रहे होंगे प्लेटया मालिक की दुत्कार सुन रहे होंगे मुमकिन है कि पास के...
View Articleअंतिम दिन की अनुभूति - चन्द्रकांत देवताले
शोक की एक लहर.... जो अभी उठनी शुरू हुई है...और ऊंची उठती जाएगी.... यह कविता अनुप्रिया देवताले ने शेयर की है।वीडियो परिकल्पना रुचिता तिवारी की है, सहयोग युवा कवि अमित श्रीवास्तव का। सबके प्रति आभार।
View Articleरेखा चमोली की कविताएं
रेखा चमोली उन नई कवियों में हैं, जिन्हें हम इस यक़ीन के साथ पढ़ते हैं कि वे हमारे सामाजिक जीवन के संघर्षों और विद्रूपों को हमारे आगे कुछ और खोलेंगे। रेखा चमोली पर हमारा यक़ीन हर बार सही साबित होता है।...
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