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कामरेडानापन से भरी गिर्दा की दो कविताओं पर एक टिप्पणी-अनिल कार्की

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नाज़िम  नेकहाथाकि''मैंकविताकेभविष्यपरविश्वासकरताहूँ.ऐसेकईरहस्यहैं,जोलोगोंकोअभीजाननेहै.... इनशब्दोंमेंथरथरारहेहैं " गिर्दा  कोसमझनेका  प्रस्थानबिंदुगिर्दा  कासंरक्षणनहीबल्कि  उनकीकविताकीउसतासीरकासंरक्षणहैं,जिसमें  एकगंभीरकामरेडानापन है,क्योंकियहवहचेतनाथी,जिसनेगिरीशतिवारीकोगिर्दाबनाया.कविताका  रहस्यक्याहैंजिसे  जाननाहैं अभी ? वोभीउससमयजबजटिलहोतीदुनिया कासौन्दर्यबदलरहाहै.  एकअरबीकहावतहै'उन्जुरमाँक़ाल  लातन्जुरमनक़ाल ' (देखोकीक्याकहाहै,मतदेखोकिकिसनेकहाहै) -तबयहबहुतज़रूरी होजाताहै किहमवहदेखें,  जोकहागया है.  बदलतेसमयकेबदलतेसौन्दर्यकोसमझनाभीज़रूरीहोजाताहैकईबार.यहसौन्दर्यविकृतहोकरआदमीकेसांचेगढ़नेलगताहै।यहऐसेहीनहींहोता. एकरचनाकारकेतौरपर कविकीजिम्मेदारीहोतीहैंकिवहइनजटिलअनुभूतियोंकोसमझताहुआउससौन्दर्यकोगतिशीलकरे,जिसेसामाजिकदबावोंकेचलतेसमाजविकृतरूपमेंपोषितकरनेलगाहो.यदिसंस्कृतिगतिशीलहै तोसौन्दर्यभी गतिशीलहैऔरउसकेभीमानकबदलतेहै,उसकेभीअपनेनियमहैंऔरअपनीसीमाहै.कविजिससमाजमेंजीरहाहै,वहभीउससमाजकासमंकहै.एकऐसासमंकजिसेहमसमग्रकाप्रतिनिधितबकहसकतेहै,जबउसकासाहित्यअपनेवर्गकाठीकप्रतिनिधित्वकरताहो,उसमेंसमाजकीसारीध्वनियाँव्याप्तहोनेकेसाथ- साथवहचेतनाभीहोजोइससमाजकोसहीदिशामेंलेजासके.यहअपनेसमयसे एककिस्मकी  टक्करभीहैऔरसृजनभी. मायकोव्यसकी  नेकहाभी  हैकिकविसमाजकादेनदारहोताहै”.
 " भौतिकजीवनकीउत्पादनप्रणालीजीवनकीआमसामाजिक ,राजनैतिकऔरबौद्धिकप्रक्रियाकोनिर्धारितकरतीहैं ..आर्थिकबुनियादकेबदलनेकेसाथही,समस्तवृहदाकारऊपरीढांचाभीकमोबेशतेजीसेबदलजाताहै. ऐसेरूपान्तरोंपर  विचारकरतेहुएएकभेदहमेशाध्यानरखनाचाहिए,एकओरतोउत्पादनकीआर्थिकपरिस्थितियोंकाभौतिकरूपांतरहै,जिसेप्राकृतिकविज्ञानकीअचूकताकेसाथनिर्धारितकियाजासकताहै,दूसरीओर वेक़ानूनी,राजनीति ,सौंदर्यबोधात्मक यादार्शनिक...संक्षेपमेंविचारधारात्मकरूपहैं, जिनकेदायरेमेंमनुष्यइसटक्करकेप्रतिसचेतहोतेहैंऔरउससे निपटतेहैं "(मार्क्स-एंगेल्ससाहित्यतथाकला.मास्को ,१९८१पृष्ट४७-४८ )
गिर्दाकीकुछकविताएँ हैं,  जिनकासौंदर्यजीवनकेउसपक्षकोउभारताहैं,जहाँपरथकाहुआ  आदमीलम्बेसंघर्षकेइसपूरेसफ़रमेंथोड़ीदेरकेलिएकमरटेकताहै(घुटनेनहीं). तबउसपूरीलडाईकारूपांतरकविताकेइससौन्दर्यमेंहोजाताहैऔरवहजीवनकेउसरहस्यकोव्यक्तकरताहैं,जहाँसबएकदूसरेमेंरचेबसेहै. तबसब्जीमेंजीरेकाछौंकाभीपूरेगाँवकोमहकादेताहै. गिर्दाकासाँझसेबड़ालगावहै.उनकीजीवनकेसौन्दर्यसेभरीअमूमनकविताओंमेंसाँझकेबड़ेमनहरदृश्यहैं. होंभीक्योंसर्वहाराकेलिए साँझकामहत्व ही कुछ अलग होता है.साँझउसकेलिएदूरकामपरगयेकामगार बेटे काइंतजारहै. तुतलातेबच्चोंकेलिएपसीनेमेंभीगीटाफियांहै्.दूरघास-पानीको गयीमाँओंकेलौट आनेकीउम्मीदसेभरीघुच्चीआँखेहैं. गायों-बछड़ोंके जंगलसेलौटनेऔरपंछियोंकेदिनभरकीउड़ानोंकेबादझुरमुटमेंलौटनेकासमयभीसाँझहीहै. अपनीमीठीथकानोंमेंरमतेहुएआनेवालेकलकीतैयारीभीसाँझकोहीहोतीहै. गिर्दाकीकविताओंमेंयहखासबातहै किउनकेयहाँइसअनुभूतिसेपूरा गाँवअभिभूतहै.सबएकदूसरेसेइसतरहमिलेहैंकिसबकेदर्दआपसमेंगीतबनजातेहैं.इनकविताओंमें बहुतकुछऐसा है,जोशब्दों मेंभलेहीहोलेकिनकविताकीनिर्बाधलयऔरएकनन्हेबच्चे-सीचंचलपरसचेतभंगिमाओंमेंगुंफितहै.वहचेतना  हैं,उससर्वहारावर्गकायथार्थ.जैसेगोर्कीकेपात्रदिनभरजीतोड़मेहनतकरतेहैंऔरशामकोवोद्काऔर  पार्टीसंगीतकेधुनोंपरथिरकनानहींभूलते (मेराबचपन, मेरेविश्वविद्यालय,औरजीवनकीराहों ,केसंदर्भमें). कमकविताएँ औरकमकहानियांहैं,जहाँपरथके-हारेशोषितजीवनकेप्रतिइतनाआशावाददिखाईदेयदिआशावादहोभीतो उसकेभीतरयहखिलंदड़ापनऔरहोंसियापननहींमिलता,जोगिर्दाकीकविताओंकेभीतरमिलताहैं.यहीहोंसियापनगिर्दाकीकविताकेप्रतिमेरेलगावकाकारणभीहै.
उनकीदो कविताएंयागीतहैं,जिहोंनेमुझेहमेशाआकृष्टकिया -  'पारपछ्योंधारबटी' और  'होरेदिगोलाली'.  पहलागीतथोड़ा शास्त्रीयकिसिमकाहैऔरदूसरेकीलयचांचरीकेकरीबठहरतीहै. यहदूसरागीतएकतरहसेआदिमसंवेदनाकीपुनर्संरचनाकरताहुआप्रतीतहोताहै,जिसकासौन्दर्यसर्वहाराकासौन्दर्यहै.  दोनोंगीतोंमेंसाँझकावर्णनहैपरपहलेगीतकी  साँझ  फागुनकीसाँझहै -बसंतीहवाओंवाली,जिसेपहाड़में'चलबसंता' याजबढाणभुईया (एककिसिमकीहवा) चलतीहैतबकालिखाप्रतीतहोताहै. औरदूसरेगीतकोलिखागयाहै  सावनभादोंमेंजब झड़ (लम्बेदिनोंतकपड़नेवालीझमाझमबरखा) केबादसावनीसाँझको आकाशअखर (सुखारहाहैरहाहै.झड़केदिनअक्सरपहाड़ोंमें'झड़पातयी ' मनाईजातीथी(हालाँकिअबभीदूर- दराजकेगाँवमेंयह सब देखनेकोमिलजायेगा). वहविशेषभोजनऔरगीतजोवर्षाके  समय  बनायेखाएजातेहैऔरसाथबैठकरगायेजातेहैं,  जिनमेंजीवनकीअजीबकसक होतीहै.  थोड़ाउदास,थोड़ायादवादीकिसिमकेऔरआनेवालेअच्छेदिनोंतीजत्यौहारोंकीगंधइनगीतोंमेंजीरेकेछोंकेजैसी महकतीहै.'होरेदिगोलाली' असलमेंइसशब्दकाअर्थहीपहाड़मेंकसकऔरटीसहोताहैंजैसेकि  कुछ- कुछ"काश ...." !  यहऐसाशब्दहै -जबअभिव्यक्तिकेलिएकुछनहींबचता,तबयहउसव्यक्तहो सकनेवालीजटिलताकोव्यक्तकरताहै.जानेकबसेयह शब्दलोककेमौन कोव्यक्तकरतारहाहैऔररहेगा.आदमीकेअंतर्द्वन्दसेभराऐसाशब्दहिंदी  मेंशायद  ही हो.इसकवितामें  एकबार'होरेदिगोलाली' हटाकरदेखिये,तबयहकविताअशान्तनहीकरेगी.वहएकसीधेरास्तेपरबह निकलेगी  इसकेभीतरकावहअशांतकरनेवालीटीसइसशब्दपरनिर्भरहै.  इसलिएगिर्दाकेबहानेइसपारिभाषिकशब्द कीभीशिनाख्त  ज़रूरी  हो  जातीहै.इसशब्दसेमेराभीगहरानाताहै.  यहशब्दपहले-पहलमैंनेअपनीमाँसेसुना,वोभीतबजबवहदिनभरथकीहारीसाँझकोकोईगुजराहुआ मीठाक्षणयादकरतीथीयाफिरकिसीआनेवालेमीठेक्षणकीकल्पनाकरतीथी. यह'दिगोलाली' अपनेमेंइतनेसारेअंतर्विरोधसमेटेहुएहैकिमनकाबहुतसारामौनऔरअनुभूतिकेवलइसीशब्दसेव्यक्तहोजातेहैं.  गिर्दाकीकविताकीटेक  ही  'होरेदिगोलाली' है  जोइसटीसकोऔरबढ़ादेतीहै.  यह  कविताजितनीशांतदिखतीहै,मुझेउतनाहीअशांतकरती रही है.  अबज़राहमकविताउससौन्दर्यकीबातकरतेहैं,जोशब्दोंमेंहै औरलयमेंहै. पतानहींइसेआलोचनाकीभाषामेंक्याकहतेहोंगे,लेकिनमौसमकीझनकऔरजीवनकेअन्तर्विरोधकैसेइसकवितामेंएक- मेकहैं.  इसगीतकीचित्रात्मकता परध्यानदेंऔरदेखें कि ध्वन्यात्मकताभीलाजवाबहै.  जहाँपरथनमेंलगीबछियाका  चित्रहै,  वहीं परदूधदुहने कीध्वनि 'द्वि-द्वांद्वि-द्वां'. गीलीलकड़ीकागीलाधुवांहैं,  छानी -खरकहै (झोपड़ेऔरजानवरोंकोबांधनेकास्थान), पापड़केपत्तोंमें (अरबीकीसब्जीकेपत्ते) में  ओसकीबूँदऔरउनपरपसरीसफेदचांदनीहै औरओसमेंभीगीऔरउतरीगहनदर्दोंमें डूबीलेकिनपीड़ामेंभीहंसतीजिन्दगीहैकांसेकीथालीसाचाँदटंगाहै (टंगाहै) ऊगानहींहै. औरफिरकुमाऊंनीकालोकगीतन्योलीकहींपार्श्‍वमेंसुनाईदेताहै.यहगीतविरहकाप्रतीकहै.  घनेवनोंमेंघस्यारिनोंऔरग्वालोंद्वारा गयाजानेवालायहगीत,जिसमें  लोकअपनीपीड़ासे सीधासंवादकरताहै औरहवाजिसकीलयकोसंप्रेषितकरतीहैं.  जिसकीप्रेरणाहैफ़ाख्‍़ता कीप्रजातिकावहपंछी (न्योली) जोटेरतारहताहै...कसकभरीआवाजमें…..'निहूँ-निहूँ',  इसलिएकवि  इसनिखरेआकाशऔरमनमोहक साँझकेबीचउसपीड़ाकोबिसारतानहीं,बल्किउससेस्पन्दितहोताहै.जीवनकेप्रतिअपनीआस्थाकोमजबूतकरताहैं. और  यहसबउसेकुतक्याली (गुदगुदी) लगातेहैं,करतेनहीं.
मुश्किल से आमाकाचूल्‍हाजलाहै
गीलीहैलकड़ीकिगीलाधुंवा है
सागक्याछोंकाकि गौंमहका  है
होयेगंधनिराली
....
कांसे कीथालीसाटंगाचाँद है
पातदही कापरोस  दियाहै
दूरकहींकोईछेड़रहाहै
होरेन्योली'सोरयाली
***
दूसरीकविताहै'पारपछ्योंधारबटी'. यहकवितासाँझकेउसबिंदुपरआरंभहोतीहै,जबग्वालाघरकोलौट  रहाहैऔरदूरशिखरोंसेमंद - मंदठुमक - ठुमककरसाँझउतररही है.  मोहनाकीमुरुलीऔरबिनुनामकेबैल कीगलघंटीएकसाथबजरहीहै.आधेरस्तेमेंबावरीराधा-सीब्‍याल(साँझ)इसधुनमेंरमकरखड़ीहोगयीहै.हवाचलरहीहै.वनपरियां झूमरहीहैं.बादलोंकाकालाभूरारंग, जलकरलालहोगयाहै.कुमांऊकीकिल्योपेत्रारजुलासौक्याँण,जोकेवलखूबसूरतथीबल्किकबीलाईसमाजकी बहादुरस्त्रीभीथी,जिसनेकत्युर  राजामालूशाही  कोकहा  कियदितूनेअपनीमाँकादूधपियाहैतोमेरेभोटआकरमुझेअपनीरानीबना.उस रजुला से सांझ कीतुलनाकरताहुआकविअपनीलोकचेतनाकीसहृदयताऔरकठोरसंघर्षकोव्यक्तकरताहै.यहसबवहक्योंकरताहै,राजुलाहीक्यों कोईऔरनायिकाक्योंनहीं? पहाड़मेंकईनायिकाएंहैशायदराजुलाकेकवितामें होनेकीवजहहैंकिवहलोकमेंनारीचरित्रकीसबसेमजबूतप्रतिनिधिहै
गावंकेगायबछड़ों  संग
मोहना (ग्वाला) कीमुरलीरनकी
मस्तबिनुबिजावरकीगलघंटीखनकी
आधेरस्तेमेंखालीघड़ालिए(इससंयुक्तध्वनीसेसंमोहित)  
खड़ीबांवरीराधासीसाँझ
ठिठकगयी
सर्वहाराजीवनकीउत्कटजिजीविषाके उत्सवकेकविगिर्दाकीयेकविताएंउनकीअन्यकविताओंसे भिन्नहैंऔरभिन्नकिस्मसेसर्वहारासेजुड़तीभी है.ये इसलिएभीमहत्वपूर्णहैकि गिर्दाहीक्या,इसतरहकेसबकवि हमारेअपनेकवि हैं,इनकीकविताएँहमारीहैं,क्योंकिइनकेभीतरहमारासंसाररमताहैऔरयेकविताएं  हमारेसंसारमेंरमतीहैं.हमेंजीवनकायहसौन्दर्यबचानाहीहोगा.अपनेसमाजोंऔरकविताओं के भीतरविचारकीइसप्रतिबद्धताकोजिन्दारखनाहोगा.गिर्दायाअन्यइसतरहकेकवियोंकोयादभरकरलेनाकिसीदायित्वकीपूर्तिसेज्यादाइधर प्रकाश में आए  एक विशिष्‍ट  बौद्धिकअभिजातकीबीमारीकाभीलक्षण है.  ज़रूरतहैउनकीइसपरंपराकोकिसतरहसेआगेबढायाजाए.उनरचनाओंऔररचनाकारोंकीशिनाख्‍़तहोनीही चाहिए,जोहमपरकेन्द्रितहै.अभीकईरहस्यहैजोजाननेबाकीहै.  वहइनशब्दोंकेभीतरथरथरारहेहै'होरेदिगोलाली'. 
  
अनिल द्वारा विचारित दो कविताओं में से एक को ख़ुद गिर्दा की आवाज़ में अनुनाद की पोस्‍ट 'हमारे साथ हमारे गिर्दा'पर  सुना जा सकता है। मेरा आग्रह है कि एक बार ज़रूर सुनिए।

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