कामरेडानापन से भरी गिर्दा की दो कविताओं पर एक टिप्पणी-अनिल कार्की
नाज़िम नेकहाथाकि''मैंकविताकेभविष्यपरविश्वासकरताहूँ.ऐसेकईरहस्यहैं,जोलोगोंकोअभीजाननेहै.... इनशब्दोंमेंथरथरारहेहैं " गिर्दा कोसमझनेका प्रस्थानबिंदुगिर्दा कासंरक्षणनहीबल्कि...
View Articleगिरिराज किराडू की कविताएँ
गिरिराज के यहां कविता एक नाज़ुक विषय है, गो वो अकसर ख़ुद को कठोर कवि कहता पाया जाता है। मैंने पहले भी दो-तीन बार अनुनाद पर उसकी कविताएं लगाते हुए टिप्पणियां की हैं और ख़ुद को ख़ासी मुश्किल में पाया...
View Articleएकदिन स्त्री चल देती है चुपचाप ...दबे पाँव - कमाल सुरेया, अनुवाद एवं...
कमाल सुरेया (1931-1990)एक दिन स्त्री चल देती है चुपचाप ...दबे पाँव कोई स्त्री रिश्तों को निभाने में सहती है बहुत कुछ ..मुश्किलें उसका...
View Articleविजय सिंह की नई कविताएं : विशेष प्रस्तुति
विजय सिंह अपनी उत्कट लोक प्रतिबद्धता के कारण हिंदी कविता में एक सुपरिचित नाम हैं। उन्हें लिखते कई बरस हुए। उनके लिए अपना जिया हुआ लोक जीवन ही उनकी कविता है....वे अपनी कविता को जीने वाले कवि हैं। दूर...
View Articleसौरभ राय की कविताएं
अब तक मेरे लिए बिलकुल अपरिचित रहे सौरभ राय की ये कविताएं जीवन के कई रंगों और अर्थच्छवियों से भरी कविताएं हैं। इनमें ज़रूरी क्षुब्धता और उम्मीद, दोनो हैं। हमें अपनी कविताएं मेल करते हुए उन्होंने एक...
View Articleआशुतोष दुबे की कविताएं
अनुनाद पर निरन्तर काम करते रहने का सुफल कभी-कभी यूं भी मिलता है जैसे मेरे प्रिय कविमित्र आशुतोष दुबे ने अपनी छह कविताएं अभी अचानक उपलब्ध करा दी हैं। इनमें से तीन पूर्व प्रकाशित हैं और तीन पहली बार...
View Articleसमय के बंजर में ज़मीन पर बारिश उगाता कवि : केशव तिवारी की कविता पर युवा आलोचक...
केशव तिवारी मेरे बहुत प्रिय कवि हैं, जिनकी कविता के महत्व पर बातचीत मुझे हमेशा हमारी आज की कविता के हित में बहुत ज़रूरी लगती रही है। युवा आलोचक सुबोध शुक्ल ने अनुनाद के लिए इस दायित्व को स्वीकार...
View Articleकविता जो साथ रहती है 4: प्रभात की कविता : गिरिराज किराड़ू
विस्थापन और ‘आत्म’बोध की दूसरी कथाअपनों में नहीं रह पाने का गीतउन्होंने मुझे इतना सतायाकि मैं उनकी दुनिया से रेंगता आयामैंने उनके बीच लौटने की गरज सेबार-बार मुड़कर देखामगर उन्होंने मुझे एकबार भी नहीं...
View Articleमेरे जीवन में-मन में वह एक-अकेला औघड़ बाबा - संस्मरण
प्रगतिशील हिंदी कविता का वह परम औघड़-ज़िद्दी यात्री, जिसे नागार्जुन या बाबा कहते हैं, मेरे जीवन में पहली बार आया तब मैं आठवीं में पढ़ता था। 1986की बात रही होगी जब सुनाई पड़ा कि ये महाकवि हर बरस अपनी...
View Articleनामवर की नाक - रविभूषण पाठक की कविता
मूल तस्वीर मोहल्ला लाइव से साभार1नामवर जी आपसे तो अस्सीपार में मिलेपर वह बीसविषायी हुई थीवैसे भी वह बस एक कोस की दूरी पर थीपर आपसे मिलने तो मैं अस्सी कोस टाप गयाबिना पारासिटामाल बिना पानीपट्टीबस...
View Articleबंद हो यश मालवीय का मानसिक उत्पीड़न
अभी कुछ ही दिन बीते हैं जब दुनिया भर में श्रमिकों के अधिकारों और उनके संघर्षों की विरासत को याद करते हुये मई दिवस मनाया गया है। हालांकि देश दुनिया में आज भी ऐसे संस्थानों की कमी नहीं है जहां...
View Articleख़्वाब की तफ़सील और अंधेरों की शिकस्त -वीरेन डंगवाल की कविता पर...
ख़्वाब की तफ़सील और अंधेरों की शिकस्त(वीरेन डंगवाल की कविता पर अपर्याप्त–सा कुछ)(एक टूटी-बिखरी नींद थी और एक अटूट ख़्वाब था अट्ठारह की नई उम्र का जब मैं वीरेन डंगवाल के पहले संग्रह इसी दुनिया मेंकी...
View Articleवाया 80’ - मृत्युजंय की कविता
मृत्युजंय बहुत अलग-अलग शिल्पों में कविता सम्भव करने वाले अद्भुत युवा कवि हैं। वे भरपूर राजनीतिक हैं, उनकी कविता के उद्देश्य राजनीतिक हैं, जो दिनों दिन विचारहीन होते जाते हमारे दौर में मुझे एक...
View Articleसंदीप रावत की कविताएं
मेरे प्रिय छात्र अनिल कार्की की वजह से मेरा ध्यान फेसबुक पर संदीप रावत की कविताओं की ओर गया। मैं उनके पिछले कुछ स्टेटस को बहुत ध्यान से देख रहा था, जहां ये कविताएं दर्ज़ थीं। अब मुझे यक़ीन-सा होने...
View Articleहेमा दीक्षित की कविताएं
अपने लिएतुम्हारे घर कीतिमंजिली खिडकी सेकूदती है और रोज भाग जाती हैछिली कोहनियों और फूटे घुटनों वाली औरतढूंढती है नीम का पेड़और झूलती हैजीवन-जौरिया परऊँची पेंगो का झूलानीले आसमान में उड़तेआवारा बादलों...
View Articleलिखत पढ़त का दूसरा संस्करण
2012 के के अंत में मेरे आलोचनात्मक लेखों का संकलन 'लिखत-पढ़त' नाम से प्रकाशित हुआ था, जिसका पहला संस्करण चार महीने में समाप्त हो गया था, जबकि तब इस पुस्तक की ख़रीद उत्तराखंड तक ही सीमित थी।...
View Articleयह समकालीन हिन्दी कविता और विचार के इलाक़े में एक बेहद गम्भीर मामला है
यहां गिरिराज किराड़ू का एक पत्र प्रकाशित किया जा रहा है, जिसे मैं आज की कविता और विचार के इलाक़े में एक बड़े हस्तक्षेप की तरह देखता हूं। यह पूरा प्रकरण हिन्दी में अधिनायकवादी पत्रकारिता, घृणित...
View Articleबर्तोल्द ब्रेख़्त की कविता / अनुवाद असद ज़ैदी - आनेवालों के नाम
फेसबुक पर काम करने का कोई ईनाम भी मिलेगा, कभी सोचा न था। पिछले दिनों अपनी पीढ़ी के कवियों को पढ़वाने के लिए बहुत टीस के साथ बर्तोल्द ब्रेख़्त की एक कविता वाल पर लगाई थी और ईनाम मिला अग्रज कवि असद...
View Articleटूटकर ही बनते हैं पहाड़ -भास्कर उप्रेती
भास्कर उप्रेती छह बरस पहले मि㨜ला एक युवा कवि-पत्रकार, जिससे समय के साथ मि㨜त्रता गाढ़ी होती गई। मैंने उसमें बहुत भावुक-संवेदनशील इंसान पाया। लेकिन उसकी नौकरी उसे जल्द ही नैनीताल से दूहरादून ले गई।...
View Articleकविता की टिहरी डूब गई
इधर कुछ समय से उत्तराखंड में तथाकथित विकास के प्रबल पक्षधर बनकर सामने आए मेरे बहुत प्रिय वरिष्ठ कवि लीलाधर जगूड़ी के लिए सादरतस्वीर: मनोज भंडारी-अनिल कार्की की फेसबुक वाल से साभारपेड़ से गिरे पत्ते...
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