हर्षिल पाटीदार की कुछ कविताएं
हिंदी में बहुत सारी रॉ एनर्जी है। वह उतनी अनगढ़ है, जितना एक मनुष्य को होना चाहिए। उसे बाहर से साधना हिंसा की तरह होगा। वह ख़ुद सधेगी विचार की राह पर उसके पथ आगे कभी प्रशस्त होंगे। जैसे बच्चा देखता है...
View Articleउत्तर सदी की हिन्दी कहानी : समाज और संवेदनाएं -संदीप नाईक
मित्रों, उत्तर सदी की हिन्दी कहानी का विकास दुनिया के किसी भी साहित्य में उपलब्ध प्रक्रिया के तहत अपने आप में अनूठा होगा इस लिहाज से कि हिन्दी कहानी ने इस समय में बहुतेरी ना मात्र घटनाओं को देखा, परखा...
View Articleलाल्टू की नई कविताएं
मुझे कुछ ही देर पहले ये कविताएं मिली हैं और मैंइन्हें एक सांस में पढ़ गया हूं। आज और अभी के हिंसक प्रसंगों के बीच कविता के पास प्रतिरोध एक सहेजने लायक पूंजी है। लाल्टू की कविताओं की ये भीतरी आग और उसके...
View Articleझुंडीने लोक जमले तेव्हा तू कुठे होतास?/झुंड में जब लोग जमा हुए तब तुम कहाँ थे...
यह महत्वपूर्ण कविता हमें प्रज्ञा जोशी और हिमांशु पांड्या ने उपलब्ध कराई है। अभी जिन दिनों के बीच हमारा जीवन है कराहता हुआ, उन्हीं दिनों में, उन्हीं दिनों को कहती यह कविता भी है। अनुनाद कविता महाजन और...
View Articleरेयाज़ उल हक़ की कविताएं / जलसा-4
उधार के लोहे और उधार की धार वाली कविताओं के प्रतिरोध शुरू हो ये कविताएं देश और राजनीति में चल रहे दुश्चक्रों के कई नक़ूश दिखाती हैं। इनका प्रथम प्रकाशन जलसा के हाल में चौथे अंक में हुआ है। कवि ने...
View Articleकृष्ण कल्पित की बारह कविताएं
कवि कृष्ण कल्पित ‘भारतनामा’शीर्षक से कविता की एक सिरीज़ लिख रहे हैं। उनके जन्मदिन के अवसर पर बधाई देते हुए इसी सिरीज़ से बारह कविताएं। ये कविताएं उसी क्रम में नहीं हैं, जिसमें कवि द्वारा इन्हें...
View Articleउनका मरना लाज़िम था-अशोक कुमार पांडेय की कविता
कराहते हुए वक़्तों में, बेइंतेहा ज़ुल्मतों में, जब आंखों में पानी और आग एक साथ भरे हों, कविता की राह और कठिन हो जाती है। हमारे बीच लोग क़त्ल हो रहे हैं, वे लोग, जो मनुष्यता को अपना साध्य माने थे। जाहिर...
View Articleअंधेरी कविताएं - अशोक कुमार पांडेय
यहां दी जा रही कविताओं को 'अंधेरी कविताएं'ख़ुद कवि ने कहा है। अंधेरेके बारे में गाया जाएगा का संकल्प धरे कवि का हक़ बनता है कि वह ऐसा कहे। तनाव, अवसाद और आक्रोश में अतिशय होते जाते बिम्ब ऊंचे सुरों को...
View Articleवीरेन डंगवाल पर महेश चंद्र पुनेठा का लेख
परिवर्तन की गहरी उम्मीद से भरा हुआ कवि हर बड़े कवि में ऐसी कुछ खासियतें होती हैं, जो उस कवि को अन्य से अलगाती हैं। उसका एक चेहरा बनाती हैं। यही खासियतें होती हैं, जो पाठकों को उस कवि से जोड़ती हैं।...
View Articleविद्रोही के साथ चलना हर किसी के लिए आसान नहीं है - प्रणय कृष्ण
"नाम है-रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’। ज़िला सुल्तानपुर के मूल निवासी। नाटा कद, दुबली काठी, सांवला रंग, उम्र लगभग 50 के आसपास, चेहरा शरीर के अनुपात में थोड़ा बड़ा और तिकोना, जिसे पूरा हिला-हिलाकर वे जब बात...
View Articleबृजेश नीरज के कुछ नवगीत
बहुत पहले रोहित रूसिया के कुछ नवगीत अनुनाद पर छपे थे। आज प्रस्तुत हैं जनवादी लेखक संघ से जुड़े कार्यकर्ता बृजेश नीरज के नवगीत। *** हाकिम निवाले देंगे गाँव-नगर में हुई मुनादी हाकिम आज निवाले देंगे...
View Articleवो तकनीक के साए में ज्ञान से ठगे गए उर्फ़ नब्बे के दशक के लौंडे - अमित...
‘वो तकनीक के साए में ज्ञान से ठगे गए’– नब्बे के दशक लौंडे शीर्षक इस कविता के कुछ रेखांकित किए जाने योग्य उद्बोधनों में से एक यह ख़ास है। कवि ने इस कविता को मुझे समर्पित करके दरअसल मेरी पूरी...
View Articleअसंग घोष की कविताएं
गहरे आक्रोश में डूबी ये कविताएं, कविता होने के पारम्परिक विधान को भी मुंह चिढ़ाती हैं। इनके कथ्य पर बहस हो और क्राफ़्ट पर भी -यही इन कविताओं की आंकाक्षा है आर सफलता है। सदियों के संताप का मुहावरा अब...
View Articleप्रेमपत्र - नवीन रमण
हिंदी की कथा और कविता,दोनों में, प्रेमपत्र बहुत दिव्य किस्म की भावुकता का शिकार पद है। कहना न होगा कि प्रेमपत्र कहते ही किस कविता और किस तरह की कविताओं की याद हमें आती है। नवीन रमण को मैं फेसबुक पर...
View Articleजुगलबंदी: लीलाधर जगूड़ी की लम्बी कविता "बलदेव खटिक"एवं वीरेन डंगवाल की...
पृथ्वीराज सिंह को सोशल मीडिया पर मैंने कविता पर उनकी कुछ सधी हुई टिप्पणियों से जाना। कविता की उनकी पढ़त और समझ अब एक रचनात्मक आकार ले रही है। वे कविताओं पर लम्बी प्रतिक्रियाएं लिख रहे हैं। अनुनाद के...
View Articleएक क्रोनिक कवि का साक्षात्कार (व्यंग्य) - राहुल देव
पूर्वकथन-अँधेरी आधी रात का पीछा करती गहरी घनेरी नींद | नींद में मैं, सपना और दादाजी | दादा जी सपनों में ही आ सकते थे क्योंकि अब वह इस ज़ालिम दुनिया में जीवित नहीं थे | पिताजी बताया करते थे कि मेरे दादा...
View Articleकविता की उम्मीदों का लालिमा भरा चेहरा - अनिल कार्की के कविता संग्रह 'उदास...
अनिल कार्की संभावनाओं का एक नाम है और महेश पुनेठा सुपरिचित कवि-समीक्षक। महेश पुनेठा का अनिल के संग्रह पर लिखना सुखद है। महेश और अनिल, इस पृथ्वी पर एक ही भूगोल साझा करते हैं और मैं भी। इस समीक्षा के लिए...
View Articleएक अनाम समस्या : बेट्टी फ्रीडन- अनुवाद : सुबोध शुक्ल
सुबोध शुक्ल सुपरिचित आलोचक हैं। उनका लेखन हिंदी के इलाक़े में एक नई उम्मीद की तरह है। हमारे अनुरोध पर उन्होंने बेट्टी फ्रीडन के एक महत्वपूर्ण लेख का अनुवाद उपलब्ध कराया है। इस उपलब्धि के लिए अनुनाद...
View Articleनयार की लहरों का लेखा-जोखा ‘मल्यो की डार’ - अनिल कार्की
गीता गैरोला की संस्मरण पुस्तक की समीक्षा मैं याद को केवल जगह (स्पेस) नहीं मानता और न वर्तमान से पलायन की शरणस्थली। मैं स्मृति को पलायन या किसी खास समय व जगह के विरुद्ध खड़ा करने का पक्षधर रहा...
View Articleअनिल कार्की की नई कविताएं
अनिल की आंचलिकता से भ्रमित मत होइए, वह अपनी कविताओं के जाहिर दिख रहे स्थानीय आख्यानों में हमारे जीवन और वैचारिकी के महाख्यान छुपा देता है। जीवन सदा स्थानीय ही होता आया है पर उसके आशय समूची मानव-जाति के...
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