विदग्ध देहों का जल-स्पर्श - अमिताभ चौधरी की कविताऍं / चयन : प्रशांत विप्लवी
अमिताभ चौधरी की कविताऍं कवि प्रशांत विप्लवी ने अपनी एक टिप्पणी के साथ उपलब्ध करायी हैं। इस सहयोग के लिए अनुनाद प्रशांत जी का आभारी है। इधर के प्रचलनों से अलग ये कविताऍं एक अलग कहन की कविताऍं हैं और...
View Articleबापू की लाठी पर टिकी है पृथ्वी - रोहित कौशिक की कविताऍं
कवि का कथन कविता मेरे लिए जीवन को समझने का माध्यम है। हर व्यक्ति जीवन को किसी न किसी तरह से समझने का प्रयास करता ही है। कवि या कथाकार के लिए जीवन वृहद रूप में सामने होता है। इसलिए उसके लिए जीवन...
View Articleआँखों की नदी में हिल रहे हैं सपने - जितेन्द्र श्रीवास्तव की कविताऍं
जितेन्द्र श्रीवास्तव चर्चित कवि हैं। उनकी कुछ प्रेम कविताऍं अनुनाद को मिली हैं। पुरानी बयाज़ से निकाल कर सत्ताईस बरस बाद कवि ने इन कविताओं का संग्रह प्रकाशित कराना तय किया है और उसी संग्रह से ये...
View Articleधरती के किसी कोने में - रमेश शर्मा की कविताऍं
कवि का कथनमेरी समझ में कविता घर और समाज में एक मनुष्य को दूसरे मनुष्य की संवेदनाओं से जोड़ने वाली एक सेतु की तरह है जिसके बिना एक दूसरे तक पहुँचने में हमें दुनियावी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है |...
View Articleविपदाऍं नया रच कर जाती हैं - आशीष कुमार तिवारी की कविताऍं
कवि का कथन कविताएँ तो मैं स्नातक से ही लिखने लगा था लेकिन सचेत रूप से लिखने का क्रम परास्नातक (2017) के बाद से शुरू हुआ।इन तीन वर्षों में बहुत कुछ देखा राजनीति में निर्लज्ज सांप्रदायिकता,...
View Articleपिछले शरद के पहले नए थे नीलकुरिंजी के फूल – कुशाग्र अद्वैत की कविताऍं
कुशाग्र अद्वैत बाईस बरस के नौजवान हैं, जिनके पास कुछ विशिष्ट जीवनानुभव हैं, जैसे हर नौउम्र इंसान के पास होते हैं। कुशाग्र जीवन की सांद्रता को कुछ सजग हो और कुछ चौंकते हुए-से देख और ऑंक रहे हैं। उनकी...
View Articleभूख के पैर उग आए - गिरीश चंद्र पांडे की कविताऍं
कविता मेरे लिए जीवन को बेहतर बनाने का जरिया है। मुझे कविता ने बदला है। इस हद तक बदला है कि पिछले कुछ वर्षों में दुनिया और दुनियादारी को देखने के अपने नज़रिये में आमूलचूल परिवर्तन महसूस कर पाता हूँ -...
View Articleजब सारी बड़ी-बड़ी नदियाँ थक गईं - संदीप तिवारी की चार कविताऍं
संदीप नौजवान कवियों में उम्मीद से भरा एक नाम हैं। उन्हें पिछले वर्ष युवा कविता के लिए रविशंकर उपाध्याय स्मृति पुरस्कार बनारस में दिया गया है। वे लोक और विचार से गहरी सम्बद्धता रखने वाले कवि हैं।...
View Articleहिन्दी सीझ रही है मनुज की आत्मा में - मंजुला बिष्ट की कविताऍं
कवि ने कहा मेरे लिए लिखने की तलब क्या है..इस प्रश्न को मैं ख़ुद से करती रहती हूँ।आख़िर क्या जरूरत है घड़ी के दो काँटों के बीच भागते कालांश से अपने हिस्से का चुराया अलभ्य एकांत कलम को सहर्ष सौंप...
View Articleसभी जाएँगे मुझको भूल : विष्णु खरे की कविता पर विशाल श्रीवास्तव का लेख
विष्णु खरे हिन्दी कविता के इलाक़े में हुई बहुत बड़ी हलचल का नाम है। कितनी ही उथलपुथल उनके नाम दर्ज़ हैं। विवादों में बदलते हुए संवाद और विवादों के बहाने किसी संवाद को जन्म देने की दुर्बोध-सी एक...
View Articleउन सपनों को पूरा करने की चाह में - विजय विशाल की कविताऍं
कवि ने कहा वस्तुतः लेखक होने से पहले मैं स्वयं को एक सजग पाठक के रूप में देखता हूँ। एक सजग पाठक ने मेरे व्यक्तित्व को एक सजग नागरिक बनाने में...
View Articleजो कुछ है बेतरतीब मेरा - तस्लीमा नसरीन की तीन कविताऍं : अनुवाद - सुलोचना वर्मा
विख्यात बॉंग्ला लेखिका तस्लीमा नसरीन का आज जन्मदिन है। इस अवसर पर हम उनकी तीन कविताऍं बधाई और शुभकामनाओं के साथ प्रकाशित कर रहे हैं, जिनका अनुवाद सुपरिचित कवि और अनुवादक सुलोचना वर्मा ने किया है।...
View Articleथक जाते थे हम कलियाँ चुनते - प्रचण्ड प्रवीर (बाल साहित्य/कविता पर आलेख)
इक्कीसवीं सदी के आरम्भ में हिन्दी में जिन महत्वपूर्ण कथाकारों की आमद हुई है, प्रचण्ड प्रवीर उनमें बेहद ख़ास और अलग नाम है। वे क़िस्सागोई के साथ आलोचना के कुछ उपेक्षित क्षेत्रों में भी सक्रिय हैं।...
View Articleएक बस्ती हम जैसों के लिये - वीरेन्द्र गोस्वामी की कविताऍं
मैं देखता हूँ कि लोग बहुत अलग-अलग तरह का जीवन जीते हुए कविताऍं लिखते हैं या लिखने की कोशिश करते हैं। ये कोशिशें और ये संघर्ष सहज हों तो सुन्दर भी लगते हैं। लिखने की शुरूआत किसी भी उम्र से हो सकती है।...
View Articleआशंकाओं के बीच आशा - विवेक निराला की कविताऍं
आशंकाओं के बीच आशा कल्पना और सपना से परे ये कविताएं निखालिस आज की हैं। ये कविताएं अपने समय के प्रति सजग नागरिक की कविताएं हैं। एक ऐसा शहरी जो इंसान से इंसानों जैसे व्यवहार किए जाने की उम्मीद...
View Articleसपनों के षड्यंत्र और विकल्पों की दुनिया - डॉ. अजित की कविताऍं
आत्मकथ्यखुद को कवि कहने का साहस और कवि होने की जिम्मेदारी दोनों का खुद के अंदर नितांत अभाव पाता हूँ. कविता लिखता हूँ यह कहने के बजाए यदि मैं यह कहूँ कि कविता का मैं माध्यम भर हूँ कविता खुद अपने कवि का...
View Articleकब नहीं रोया है पहाड़ - खेमकरण ‘सोमन’ की कविताएँ
कवि ने कहा मुझे लगता है कि जब चोर, संभ्रांत और सिपाही की भाषा बोलने लग जाए या संभ्रांत और सिपाही, चोर की भाषा बोलने लग जाए। तब दुनिया बिगड़ने लगती है। कोई आदमी बीच सड़क पर किसी को लूट रहा हो या कर...
View Articleक्रूर कहानियों के भयावह शहर में - अमित श्रीवास्तव
अमित हिन्दी के उन दुर्लभ युवा कवियों में है, जो सिर्फ़ कविता करने का हठ नहीं ठाने रहते, बल्कि उसे समृद्ध बनाने वाली वैचारिक और भाषिक संरचनाओं में भरपूर आवाजाही रखते हैं। वे कविता के इलाक़ों में...
View Articleबिंदु - बिंदु जल : सुलोचना वर्मा की कविताऍं
सुलोचना की कविता मनुष्यता को किनारों पर खड़ी पुकारती भर नहीं रहती, वह उस उत्सव और शोक में शामिल हो जाती है, जिसे समग्रता में हम साधारण मनुष्य का जीवन कहते हैं। वे विमर्शों की कवि नहीं हैं, न निजी...
View Articleपाब्लो नेरूदा और बेंजामिन प्रादो की कविताऍं - मूल स्पैनिश से अनुवाद : मंजू...
मंजू यादव हैदराबाद में विदेशी भाषा विश्वविद्यालय से स्पैनिश में परास्नातक कर रही हैं। अनुनाद ने उनसे स्पैनिश मूल से कुछ अनुवाद मॉंगे थे, जिसके जवाब में बेंजामिन प्रादो की एक और पाब्लो नेरूदा की दो...
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