कवि का कथन
कविता मेरे लिए अपने भीतर के उस बच्चे को स्वर देने का प्लेटफार्म है, जिसने एक अलग- थलग, दार्शनिक-सा बचपन जिया। समय के साथ मेरी कविता की यात्रा में कुछ अजनबी गलियों में भटकना भी शामिल हुआ है। मेरी कविता में इस भटकने का प्रभाव साहित्य के अध्ययन से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।कुछ ऐसी जगह जहाँ मेरी उपस्थिति कोई हस्तक्षेप ना करती हो। वहाँ से हम अंजुरी भर द्रव्य लेकर आएं और कविता के निर्माण में वह काम आए। चित्रकारी जैसी कला जहां मैं मात्र दर्शक बने रहकर संतुष्ट हूँ, वहाँ मात्र दर्शक बने रहना भी मेरी कविता को पुष्ट करता है। यात्राएं मुझे हर बार एक नयी ज़मीन देती हैं। कविता लिखने के मेरे कुछ पसंदीदा विषय हैं, पर इन दिनों मैं अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर की कविता लिखने को प्रयासरत हूँ। प्रयोग करते रहना ज़रूरी है। वे कितने सार्थक होते हैं, यह मेरी चिंता नहीं है।
महामृत्युमेंअनुनाद
महामारीकेदौरानभीहोरहेहोंगेनिषेचन
बच्चेजोसामान्यपरिस्थितियोंमेंगर्भमेंनाआते
आयेंगेइसदुनियामें
कठिनकालमेंप्रेमकेदस्तावेजबनकर
बड़ेहोनेपरवहीबच्चे
किवदंतीकीतरहसुनेंगे
इसमहामारीकेबारेमें
औरविश्वासनहींकरेंगेइसपर
आजकीकालीसच्चाईकाकिवदंतीहोजाना
गहराताजाएगाआनेवालीपीढ़ियोंकेसाथ
जैसेहममेंसेबहुत
मिथकसमझतेथेप्लेगकीमहामारीको
जोलौटतीरहीअलग-अलगसदियोंमें, अलग-अलगदेशोंमें
उजाड़तीरहीसभ्यताओंकेअंश
पौराणिकगल्पसामानतेथेहम
अकालमेंभुखमरीसेमरेलोगोंको
येलोफीवरयाब्लैकडेथको
(मानवमहामृत्युमेंभीरंगदेखताहै
यहकलात्मकताहैयारंगभेद?)
महामारीकेदौरानमरेलोग
सिर्फएकसंख्याहोतेहैं
जैसेहोतेहैं, युद्धमेंमरेलोग
औरहमेशाकमहोताहैआधिकारिकआंकड़ा
कोईनहींयादरखता
किउनमेंसेकितनेकलाकारथे, कितनेचित्रकार, कितनेकवि
कौनसीअगलीकवितालिखनायाअगलाचित्रबनानाचाहतेथेवे
व्यापारीकितनाऔरकमानाचाहतेथे
कितनेजहाज़ीअभीघरनहींलौटेथे
कौन-कौनसमुद्रमेंकिसीअज्ञातनिर्देशांकपरमारागया
कितनेबुज़ुर्गअभीजीनेकीज़िदनहींछोड़नाचाहतेथे
कितनेशादीशुदाजोड़ोंकीसेजपर
अभीआकाशसेटपकरहाथाशहद
कितनेनवजातबच्चोंनेअभीनहींचखाथा
मांकेदूधकेअलावाकुछऔर
इनमेंसेकितनेगिनेभीनहींगयेआधिकारिकआंकड़ोंमें
सरकारों-हुक़्मरानोंकेमुताबिक़सदियोंबादभीज़िंदाहोनाचाहिएउन्हें
महामारीसे, यामहामारीकेकुछदशकबादमरकर
हममेंसेप्रत्येक, संख्यामेंएककाहीइजाफाकरेगा
भीड़काहिस्सायाभीड़सेअलगख़ुदकोमानतेरहनेवालेहम
गिनतीमेंसिर्फ़एकमनुष्यहोतेहैं
हममेंसेअधिकांशकविगुमनाममरेंगे
औरयदिजीपाईहमारीकोईकविता, कोईपंक्ति
भविष्यमेंउसेउद्धृतकरतेहुएकोईइतनाभरकहेगा-
"किसीकविनेकहाथा"
कहींनाकहीं
इससमयलिखीजारहीसभीरचनाओंमेंनिहितहै-
विषाणु, पलायन, अवसाद, एकात्मकता
अंधकारकीसभीकविताएं
जोफिलवक़्तबड़ीआसानीसेसमझआजातीहैं
अपनेबिंबोंकीविस्तृतपरिभाषाएंमांगेंगीभविष्यमें
किवदंतीकापुष्ट-अपुष्टआधारबनेंगी
'किसीकवि'मेंसमाहितसभीकवियों
आओ, खड़ेहोतेहैं
महामारीसेबचनेकोअतिरिक्तसावधानीबरततेहुए
एकनहीं, तीन-तीनमीटरदूरघेरोंमें
यामानलेतेहैं
एकआभासीदुनियामेंठहरेहुएकाल्पनिकघेरे
औरबारी-बारीगातेहैं
प्लेगऔरअकालआदिमेंमरगए
पुरखोंकेस्मृतिगीत
सुनातेहैंअपनीकविताएं
उसकेबाद
उम्मीदभरीसमवेतहंसीहंसतेहैं
ठहाकोंकाअनुनाद
एककालजयीकविताहै
बाइपोलरप्रेम
क़िस्सेकीशुरुआतमेंतुमनेसोचाथा-
'उसतरफएकभावनाशून्यइंसानरहताहै
जोज़ेबमेंहाथडाले, बेतकल्लुफ़, ठहरा-साहै'
इसलिएतुमनेठानीज़िदपहेलीकोसुलझानेकी
मुझेलगाथा
किउसतरफरहतीहैएकलड़की
जिसकेआकाशमेंसिर्फ़मैंहीमैंहूं
पतानहींक्योंहूं, परहूं
अपनीनिष्ठुरताकेदिनोंमें
मैंनेपूछाथाएकबारतुमसे
किक्यातुमबाइपोलरहो
जैसाकितुमनेअपनेबारेमेंलिखाहै
औरतुमनेकहाथाकिजानजाऊंगामैं
जबमैंउदासीनताकेधरातलपरथा
तुमप्रेमकेध्रुवपरखड़ीमुझेपुकारतीरहीं
कहांमालूमथातुम्हें
किबेतकल्लुफ़परतोंकेअंदरबसताहैएककोमल-कवि
एकदिनमैंनेशुरूकरहीदीतुमतककीयात्रा
चलतेरहनाप्रेमकेघाटतक
सोचकरकिइसबारप्रेमहोगासुलभ
'जिगर'साहबकीवाणीहोगीझूठी-
ना'आगकादरिया'होगा, ना'डूबकेजाना'
तुम्हेंअपनेहीध्रुवपरखड़ेरहनाथा
वहीकेंद्रबिंदुथामेरेलिएसृष्टिका
परतुमचलनेलगींप्रेमकेविपरीतदिशामें
जोहमाराबीचमेंथोड़ीदेरकामिलनाथा
आमने-सामनेसेगुज़रजानाभरथा
मानोकिसीशरणार्थीकैंपमेंहुल्लड़सेपहलेकामिलना
तुमभावनाओंसेबहुतदूर
धुंधलाते, मिटतेगएचित्रोंकीदिशामेंविलीनहोतीगईं
मेरेउदासीनताकेधरातलकोभीपारकर
एककंटीलेधरातलपरचलपड़ीं
जिससेलहूलुहानहोतेरहेमेरेपैर
क्योंकिअबमैंप्रेममेंथा
मैंकूदपड़ाघाटसे
आग, कांटोंऔरअनिश्चयकासामनाकर
तुम्हेंवापसलेआने
यहीहोतीहैनियतिहरबारप्रेमकी
जिससेबचनेकोमैंपहेलीबनाखड़ाथा
मेरीपरिणितिमेंतुम्हेंमिलगया
तुम्हारीआरंभिकपहेलीकाजवाब
मुझपरहुआज़ाहिरकितुमहोबाइपोलर
इसबीचतुमकितनीबारबदलतीरहींअपनीमनःस्थिति
तयकरतीरहींमेराडूबनायातैरतेरहना
बसप्रेमकेध्रुवपरलौटनेकासाहसनाकरपाईं
तुमबदलोगीअपनाध्रुवफिरकिसीदिन
मुझसेफिरसेहोगाप्रेमतुम्हें
मेरेएकऔरगूढ़पहेलीबन
खोजानेकेबाद
तारबंदी
जालियों के छेद
इतने बड़े तो हों ही
कि एक ओर की ज़मीन में उगी
घास का दूसरा सिरा
छेद से पार होकर
सांस ले सके
दूजी हवा में
तारों की
इतनी भर रखना ऊंचाई
कि हिबिस्कुस के फूल गिराते रहें
परागकण, दोनों की ज़मीन पर
ठीक है,
तुम अलग हो
पर ख़ून बहाने के बारे में सोचना भी मत
बल्कि अगर चोटिल दिखे कोई
उस ओर भी
तो देर न करना
रूई का बण्डल और मरहम
उसकी तरफ फेंकने में
बहुत कसकर मत बांधना तारों को
यदि खोलना पड़े उन्हें कभी
तो किसी के चोट न लगे
गांठों की जकड़न सुलझाते हुए
दोनों सरहदों के बीच
'नो मेन्स लैंड'की बनिस्पत
बनाना 'एवेरीवंस लैंड'
और बढ़ाते जाना उसका दायरा
धर्म में मत बांधना ईश्वर को
नेकनीयत को मान लेना रब
भेजना सकारात्मक तरंगों के तोहफे
बाज़वक़्त
तारबंदी के आरपार
आवाजाही करती रहने पाएं
सबसे नर्म दुआएं
***
परिचय
वागर्थ, पाखी, कथादेश, कथाक्रम, कादंबिनी, आजकल, परिकथा, समयांतर, अकार, बया, बनास जन, जनपथ, समावर्तन, आधारशिला, प्रगतिशील वसुधा, दोआबा, अक्षर पर्व, मंतव्य, कृति ओर, शुक्रवार साहित्यिक वार्षिकी, ककसाड़, उम्मीद, परिंदे, कला समय, रेतपथ, पुष्पगंधा,राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, दि सन्डे पोस्ट,सदानीरा, जानकीपुल, बिजूका, समकालीन जनमत, पोषम पा, शब्दांकन, जनसंदेश टाइम्स, हिन्दीनामा, दालान, अथाई आदि में रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं.
ताइवान में खगोल शास्त्र में पोस्ट डाक्टरल शोधार्थी। मूल रूप से राजस्थान के राजगढ़ (अलवर) से सम्बन्ध। पोस्ट डाक्टरल फेलो , रूम नं 522, जनरल बिल्डिंग-2 , नेशनल चिंग हुआ यूनिवर्सिटी , नं 101, सेक्शन 2, ग्वांग-फु रोड, शिन्चू, ताइवान, 30013
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