अजय सिंह के कविता संग्रह पर अजीत प्रियदर्शी
हाशिये की आवाजों से भरी मुखर कविताप्रखर पत्रकार व वाम राजनीतिक, सांस्कृतिक संगठनों से लम्बे समय से सक्रिय रूप से जुड़े आंदोलनधर्मी, प्रतिबद्ध विचारक 78वर्षीय अजय सिंह का पहला काव्य-संग्रह ‘राष्ट्रपति...
View Articleअमित श्रीवास्तव की नई कविता
अमित इधर लगातार राजनीतिक क्रूरताओं के बीच फंसी मनुष्यता के आख्यान रच रहा है। उसकी विकट बेचैनी उसके लिखे में गूंजती है। ऐसी बेचैनियों के बीच उपजी इस कविता के लिए मैं उसे शुक्रिया कहता हूं। अमित का कल...
View Articleमुक्ति के स्वप्न का महाख्यान : समरगाथा - अशोक कुमार पाण्डेय
अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता को एक सटल विट और जीवन के बेहद मामूली लगने वाले अनुभवों के सहारे बड़ी कविता में तब्दील कर देने वाले राजेश जोशी अस्सी के दशक के सबसे महत्त्वपूर्ण कवियों में से हैं. अस्सी का दशक...
View Articleकुँवर रवीन्द्र : बोध और द्वन्द के सजग शिल्पी - उमाशंकर सिंह परमार
कुंवर रवीन्द्र पर कुछ पहले किसी पत्रिका के लिए मैंने एक लेख लिखा था, जो छपा पर मुझसे कहीं गुम हो गया। अभी मुझे मेलबाक्स में उन पर यह लेख मिला तो ख़ुशी हुई। उमाशंकर सिंह परमार पहली बार अनुनाद के लिए लिख...
View Articleएक पागल आदमी की चिट्ठी-सी विकल कविता - विमलेश त्रिपाठी की दो लम्बी कविताओं पर...
विमलेश त्रिपाठी समकालीन समय के सर्वाधिक संभावनाशील और विश्वसनीय युवा साहित्यकार हैं। उन्होंने हम बचे रहेंगे, एक देश और मरे हुए लोग (कविता-संग्रह), अधूरे अंत की शुरुआत (कहानी-संग्रह) और कैनवास पर प्रेम...
View Articleमृत्युंजय प्रभाकर की कविताएं
मृत्युंजय प्रभाकर की नई कविताएं मुझे मिली हैं। आक्रोश, विषाद-अवसाद, द्रोह-विद्रोह की कुछ अलग अर्थच्छवियों के बीच इन कविताओं को पढ़ा मैंने। मृत्युंजय कुछ दिन पूर्व नैनीताल की ओर आए थे, हमारी मुलाकात...
View Articleअवरोह / विजेताओं से भरे इस विश्व में, प्रेम एक पराजय का नाम है - सुबोध शुक्ल...
आशीष मिश्र की ओर से मुझे यह सुखद संचयन प्राप्त हुआ। इसे भेजते हुए आशीष ने लिखा है -''मैंने सुबोध जी के इन 'स्पार्क्स'को मेहनत से इकट्ठा किया है। सुबोध जी के पास घड़ी की कमानी जितनी संवेदनशीलता और घड़ीसाज़...
View Articleकृष्णकांत की पांच कविताएं
कृष्णकांत पहली बार अनुनाद पर हैं। इस नई विचारवान प्रतिभा का यहां स्वागत है। वह समाज और साहित्य में प्रतिबद्धता के साथ लगातार चलती एक जिरह है, जिसके बीच कवि हमें लिए जा रहा है। अभी खोजे जा रहे अपने...
View Articleशायक आलोक की कविताएं
शायक की दस कविताएं पहले अनुनाद पर लग चुकी हैं। शायक के मुहावरे में कोई फेरबदल तब से कमोबेश नहीं हुआ है और मुझे यह बात अच्छी लगती है। पहले कभी लगा था कि शायक को अपने थोड़े-से फेसबुक सम्पर्क के चलते...
View Articleगंदे पोस्टकार्ड - अविनाश मिश्र
गंदे पोस्टकार्डअविनाश मिश्रमेरी एकांतप्रियता का जन्म तब हुआ जब लोगों ने मेरी वाचाल त्रुटियों की प्रशंसा प्रारंभ की और मूक गुणों की निंदा...—खलील जिब्रान***हिंसा व्यवहार में अन्याय के प्रतिकार में चली...
View Articleअमेरिकी अश्वेत युवकों का प्रतिरोध गीत - अनुवाद एवं प्रस्त़ति : यादवेन्द्र
द पीस पोएट्स के ल्यूक नेफ्यूका यह प्रतिरोध गीत पिछले कई महीनों से अमेरिका के अश्वेत बहुल इलाकों में आजकल अक्सर सुनायी देता है …फ़ेसबुक ,ट्विटर और इंटरनेट आधारित अन्य जन संवाद माध्यमों में इसकी धूम मची...
View Articleइमरजेंसी : एक पारंपरिक रूपक - प्रस्तुति : विकासनारायण राय
राजा बोला रात हैरानी बोली रात हैमंत्री बोला रात हैसंत्री बोला रात है यह सुबह-सुबह की बात है
View Articleहिंदी कविता : ऊर्जा के नए स्त्रोत - महाभूत चन्दन राय / तीन नए कवि : प्रदीप...
महाभूत चन्दन राय द्वारा फेसबुक पर लगाई जा रही इन कविताओं पर निगाह पड़ते ही ठहर गई। मैंने उनसे अनुनाद के लिए इन्हें मांगा और और उन्होंने मेरे अनुरोध का मान रखा। इस चयन और टिप्पणी के लिए शुक्रिया साथी,...
View Articleअमेरिकी अश्वेत युवकों का प्रतिरोध गीत :2 / भावानुवाद एवं प्रस्तुति - यादवेन्द्र
अगस्त 2014 के पूर्वार्ध में सेंट लुइस के अश्वेत बहुल फर्गुसन में 18 वर्षीय अश्वेत नौजवान माइकेल ब्राउनकी एक गोरे पुलिस ऑफिसर डेरेन विल्सन ने दिन दहाड़े गोली मार कर हत्या कर दी और आरोप लगाया कि वह उसकी...
View Articleक्या तुम मेरे ऊपर व्यंग्य कर रहे हो? नहीं मैं तुम्हें गाली दे रहा हूं : पंकज...
हमारे वक़्त के ये यक्ष-युधिष्ठिर संवाद, जिन्हें इन्हीं में से चुराकर मैंने ऊपर एक शीर्षक दे दिया है।यक्ष पूछता है - क्या तुम मेरे ऊपर व्यंग्य कर रहे हो... युधिष्ठिर जवाब देता है - नहीं मैं तुम्हें...
View Articleराजीव ध्यानी की कविताएँ
राजीव ध्यानी की कविताएँ मैंने पहली ही बार फेसबुक पर देखीं। मालूम हुआ कि 1995 में उनका संग्रह अकसर कागज़ नाम से आया था। इन कविताओं ने मेरा ध्यान खींचा। अपने निजी भूगोल और परिवेश लेकर एक भरपूरे विस्तार...
View Articleकविता: कवि-तान: कविता- न !: क-वितान - समकालीन प्रहसन का लेखा : अमित श्रीवास्तव
'कविता लिखने के लिए कवि होना ज़रूरी नहीं। ’ ये ब्रह्म वाक्य मुझे एक ‘कविता: कल, आज, कल और परसों’ नामक भ्रामक गोष्ठी के दौरान मिला। भ्रामक इसलिए क्योंकि मैं इसके निमंत्रण पत्र/ सूचना को मोटापा कम करने...
View Articleसोनी पांडेय की कविताएं
सोनी पांडेय की कविताएं मुखर स्त्री विमर्श के बरअक्स एक सामान्य घरेलू स्त्री के घर-दुआर की कविताएं हैं। मुक्ति का स्वप्न यहां अंतर्धारा की तरह बहता है, ऊपरी वाचाल लहरों की तुलना में वह उस गहराई में रहता...
View Articleअक्षत सेठ की कविता : प्रस्तुति - अशोक कुमार पांडेय
जिस दौर में कवि होने को एक तमगे की तरह इस्तेमाल कर लोग किसी भी तरह खुद को स्थापित करने की होड़ में हैं आश्चर्य होता है जब आपके बीच लम्बे समय से सक्रिय किसी मित्र के कवि होने की ख़बर वर्षों बाद मिले....
View Articleअरुण देव की कविताएं
अरुण लेखन की शुरूआत से ही मुझे हमेशा अपनी कविताओं में बांधते रहे हैं, पर उनकी कविताओं ने इधर एक अलग स्वर पा लिया है। यह स्वर मुखर और उतनी ही प्रतिबद्ध वैचारिकता का है। उन्होंने अपनी भाषा में रूपकों और...
View Article